ईश्वर
मैं अच्छाई हूँ ,बुराई भी मैं हूँ मैं प्यार हूँ ,तो नफरत भी मैं ही हूँ। कभी जो आह्लादित कर दे ,वो ख़ुशी हूँ में कभी जो अश्रु आँख से निकले ,वो जल हूँ मैं मैं सृजन और मैं ही विनाश हूँ सूर्य की पहली किरण से लेकर अंतिम किरण तक चारो और अनंत तक फैला उजाला मैं हूँ । संपूर्ण ब्रह्माण्ड में मैं हूँ ,और संपूर्ण ब्रह्माण्ड मुझमे है उसके बिना मैं नहीं ,और मेरे बिना वो नहीं ईश्वर मैं हूँ ,तो शैतान भी मैं हूँ तुझमे मैं हूँ तो उसमे भी मैं ही हूँ मैं रचियता ,मैं ही विनाशक हूँ सारी ज़िंदगी मैं हूँ ,तो एक पल की मृत्यु भी मैं ही हूँ। मैं कण कण में हूँ , सुबह से शाम में ,सर्वत्र मैं हूँ।
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