माँ

मैं अंश हूँ उसका ,वो मेरी दुनिया 

वो रक्त हैं मेरा ,मैं उसका एक कतरा 

मैं तो महज शरीर हूँ ,वो मेरी आत्मा 

वो कलाकार हैं ,मैं उसकी कलाकृति 

मैं सूक्ष्म  बून्द हूँ ,वो विराट समंद्र 

वो शिक्षा देने वाली शिक्षिका है 

मैं उसका एक साहगिर्द ,

वो साक्षात् ईश्वर है ,मैं उसका एक पुजारी

मैं गुमनाम हूँ ,वो नाम हैं मेरा 

हरदम उसकी सेवा करना काम है मेरा ,

वो अंतहीन  अनंत हैं ,मैं शून्य से शुरुआत 

मैं उसकी आँखों का तारा हूँ ,वो मेरा पूरा ब्रह्माण्ड। 


टिप्पणियाँ

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  2. माँ से ही जाना था चलना
    माँ से सीखा कम में ढलना
    माँ ने सिखलाया था हर ढंग
    माँ से जाने जीवन के रंग
    माँ की ममता ने समझाया
    कैसे सब पर प्यार लुटाते
    माँ से ही तो सीखा हमने
    कैसे रिश्ते सभी निभाते..
    माँ माँ है सब सह लेती है
    पर कभी नही उसका मन छलना...
    माँ से ही जाना था चलना
    माँ से सीखा कम में ढलना
    Plz My own youtube channel
    https://www.youtube.com/c/ankitshuklapoetryworld

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