मन करता है - hindi poem about school life
मन करता है -hindi poem about school life
स्कूल की यादें हम सब लोगो के लिए, अविस्मरणीय होती है जो जिंदगी भर जहन में जिंदा रहती है ,ऐसी ही कुछ यादें जो मेरी अपनी स्कूल से जुड़ी हुई है उन्हें आज मै आपके सामने अपनी कविता के माध्यम से ला रहा हूं ,हालांकि जो जिंदगी उस समय थी ,उनको कुछ शब्दों से बयां करना संभव नहीं लेकिन फिर भी मैने कोशिश की है, मैं आशा करता हूं ,आपको यह कविता पसंद आएगी ,और जरूर स्कूल की याद दिलाएगी।
School hindi poem ,hindi poem about school life
Let's start...
उन अविस्मरणीय यादों के बहाव में कभी कभी खुशी से थोड़ा रो जाने का मन करता है।
उस पुराने थैले को अपने कंधे पे लाद फिर से वहां चलने का मन करता है,
उस कक्षा में आज फिर से गाने गुनगुनाने और थोड़ा मचलने का मन करता है।
मन करता है , इन यादों से उन बीते हुए पलों को चुन लू और इन पलों से वो सारी खुशियां फिर से बुन लूं।
कभी अखबार में चुटकुले पढ़ते पढ़ते मन करता है कि चुटकुलों की वो अंताक्षरी फिर से शुरू हो जाए और मै तुम सब की उस मासूम सी हंसी को एक बार फिर निहार लूं,
इस हंसी को निहारते निहारते मन करता है ,इसे शब्दों की माला में पिरो दूं,और थोड़ा खुद को निखार लूं।
अब दुनिया के इस दिखावे से निकल जाने का मन करता है,
अपनी इस समझदारी का झोला छोड़, उस बचपने और मासूमियत की छांव में ढल जाने का मन करता है।
खाने का ज्यादा शौकीन नहीं हूं, मेरा कभी कहीं भी जाने का मन नहीं करता ।
मनचूरियन , इडली डोसा,पिजा ,बर्गर कुछ भी खाने का मन नहीं करता ।
पर अपने पुराने टिफिन को देख , रबोड़िया, बड़िया ,गोभी की सब्जी ..तुम सबके साथ फिर से खाने का बहुत मन करता है।
उस वक्त की तस्वीरों में तुम सबको देख ,आज जैसे हो वैसे नहीं,, जैसे थे वैसे ही आज पाने का मन करता है।
"The innocence that you have at school, never happens again, so school time is the greatest"
राबोडिया, बड़ीया - मारवाड़ी व्यंजनों के नाम है
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