चल हवाओं का रुख मोड़ते चल।

चल उम्मीदों की डोरी से ख्वाब अपने बुनते चल
चल झूठ की इस दुनिया में,सच को चुनते चल।

दर्द हे जो सीने में ,उसे सहता चल 
चल इस ज़िन्दगी के समन्दर में अपने हौसलों कि नाव में बहता चल।
जिन विचारो ने चारों और से घेरा है तुझे 
चल अब उन्हें भी अपनाता चल।

जो बीच रास्ते में साथ छोड़ चले गए, उनसे अब उम्मीद छोड़ता चल ,
जिन हवाओं ने सब कुछ उजाड़ा था 
चल अब उनका रुख मोड़ता चल।

मुश्किल है , मुश्किलात में है जिंदगी अभी
चल हिम्मत की लाठी लेे ,और इन्हें हटाता चल,

जैसे गणित की बाकी में ,एक संख्या में से दूसरी संख्या घटाते है।
चल वैसे ही ज़िन्दगी रूपी इस विशाल संख्या में से 
मुसीबत रूपी संख्या को घटाता चल।
चल नकारात्मक विचारो के इस भाग को तोड़ता चल
और शेषफल जो बच जाए,उसमें सकारात्मक विचारो को जोड़ता चल।

बस रुक जाना नहीं, कुछ भी हो झुक जाना नहीं ,
चल दर्द की इस चिंगारी से सीने में मशाल जला और बस  चलते चल,
राह में जो रोड़े बन बैठे है ,चल अब उन्हें मसलते चल।

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