खजाना-एक कचरा बीनने वाले की कहानी / khajana- story of a garbage picker





खजाना -एक कचरा बीनने वाले की कहानी / khajana- story of a garbage picker.

hello friends,,this poem basically is a story of a man who pick garbage ,, i tried to describe that how many problems do these peoples face in their daily routine ,, but even after all the troubles ,there is something that gives them satisfies ,, so lets find out what is it ?
  
By- ravindra_bhartiya

रोज सवेरा होते ही, मैं एक झोला हाथ में लिए चल देता हूं

एक अनचाहे सफर पर,
तपती सड़क मेरे नंगे पैरों के लिए जुते बन जाती है
और चिलमिलाती धूप मेरे लिए किसी छाते की भांति तन जाती है।
किसी खजाने की खोज में एक खोजी बन जाता हूं,
आंसू निकलते जाते है नयनों से,उन्हें थोड़ा पी कर मनमौजी बन जाता हूं।
इस खजाने को पाने के लिए  ज्यादा कुछ नहीं बस थोड़े से पैरों में छाले,कंठ सूखा देने वाली प्यास, और मौत की पर्याय वो भूख ,जैसी कुछ छोटी मोटी किम्मत चुकानी होती है।
पर कोई बात नहीं....
इन सब पीड़ाओं  पर आंसुओ का मरहम बराबर लगाते रहता हूं,
कोई आग पनपती है सीने में, उस आग से अपने कुछ सपनों को सुलागते रहता हूं।
कहीं किसी सड़क ,गंदी नाली, और कचरे के ढेर में
वो खजाना आख़िरकार  मुझे मिलता है,
उसे देख मेरे सीने में उम्मीदों का एक सूरज खिलता है।
अपने झोले को उस खजाने से तब तक भरता रहता हूं,
जब तक यह सुनिश्चित नहीं हो जाता कि आज रात पेट खाली रहेगा या भरा?
वैसे उस खजाने की कीमत उतनी नहीं होती ,
जितनी मुझे चुकानी पड़ती है ।
खैर जो भी है , उस खजाने से जो मिलता है 
वही  मेरे परिवार का पेट भरता है,
यही वो खजाना होता है , जो ऐसा खजाना मुझे दे जाता है
जिसकी तलाश में,, मै इधर उधर फिरता रहता हूँ।
और वो खजाना होता है , 
रात को गूंजने वाली मेरे  बच्चो की आह्लादित कर देने वाली वो मुस्कान ,
 बस इसी खजाने को पाने के लिए अगले सवेरे फिर निकल जाता हु ,
उस अनचाहे सफर पर........... 


#खजाना

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